Main Word of Library Science in Hindi (Library Classification)
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पक्ष (Facet) – मुख्य वर्ग का ऐसा पक्ष जो उप वर्गों किस संपूर्ण समूह को दर्शाता है तथा जो उस मुख्य वर्ग की एक प्रकार की विशेषताओं के आधार पर विभाजित करने में निर्मित होता है। यह विशेषताओं की एक श्रृंखला पर आधारित होता है। अगर इसको साधारण भाषा में समझे तो किसी भी विषय को विभाजित किया जाना संभव है इसी विभाजन को पक्ष कहते हैं।
विशिष्ट वर्ग(Specials) – ऐसे मूल्यवर्ग जिन पर विशेषज्ञ विशिष्टता प्राप्त करते हैं।
पंक्ति(Array) – यूनिवर्स ऑफ सब्जेक्ट के सभी एक समान क्लास नंबर के क्रम को पंक्ति कहते हैं तथा उन्हें Helpful sequence में arrangement किया जाता है।
मुक्त पंक्ति(Open Array) – वर्गो की पंक्ति(Array of class) जिसमें बहिर्वेशन (Extrapolation) की सुविधा होती है।
पक्ष विश्लेषण(Facet Analysis) – यह ज्ञान जगत के विचारों को व्यवस्थित करने की एक प्रक्रिया है। जिसके प्रयोग से मुख्य वर्ग की श्रेणियों को पहचाना जाता है। इसमें विभिन्न विशेषताओं के प्रयोग से किसी विषय का विश्लेषण पक्षों में किया जाता है। इसका प्रयोग डॉक्टर रंगनाथन के द्वारा किया गया।
पक्ष परिसूत्र(Facet Formula) – यह विभाजन का उपयोग करने के लिए एक सूत्र है।
भाषा अंक – इसमें यह देखा जाता है कि बुक कौन सी भाषा में लिखी गई है और उस बुक को कृत्रिम भाषा में अनुवाद भाषा अंक कहलाता है।
सम्पाश्र्विक सारणी (Collateral Arrays) – एक ही क्रम के वर्ग परंतु उसी क्रम में किसी एक से संबंधित न हो।
बहु वर्ग (Multiple Classes) – दो या दो से अधिक सत्ताअों से अधिक युक्त वर्ग
अभिधारणा (Postulate) – अभिधारणा शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है किसी तत्व की कल्पना करना। वर्गीकरण की दृष्टि से इसका अर्थ देखे तो नवीन दृष्टिकोण या विचारों से है।
परिगणात्मक पद्धति (Enumerative Scheme) – इस प्रकार की क्लासिफिकेशन में भूतकाल और वर्तमान काल में प्रचलित सभी विषयों को सहायक क्रम से शेड्यूल में लिया जाता है। विषयों का जो क्लास नंबर होता है उसको बदलने की अनुमति इस पद्धति में नहीं होती।
शुद्ध परिगणात्मक पद्धति (Purely Enumerative Scheme) – इस प्रकार की क्लासिफिकेशन में एक ही अनुसूची में भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्य काल के संभावित विषयों को शामिल किया जाता है। उदाहरण के तौर पर लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस क्लासिफिकेशन, राइडर्स इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन को देखा जा सकता है।
लगभग परिगणात्मक पद्धति (Almost Enumerative Scheme) – इस प्रकार की वर्गीकरण पद्धति में सभी विषयों के रेडीमेड क्लास नंबर होते हैं। इसमें हम नियम के साथ कुछ वर्ग घटा या बढ़ा सकते हैं। इस प्रकार की क्लासिफिकेशन की अनुसूची में भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्य काल के विषयों के क्लास नंबर के साथ साथ कॉमन आइसोलेट को भी शामिल किया जाता है। जैसे- डीडीसी, सब्जेक्ट क्लासिफिकेशन
लगभग पक्षात्मक पद्धति(Almost Faceted Scheme) – इस प्रकार की क्लासिफिकेशन में भूतकाल, वर्तमान का ल और भविष्य काल से संभावित विषयों की सूची के साथ साथ सामान्य तथा विशिष्ट आइसोलेट को भी शामिल किया जाता है। अगर इसको साधारण भाषा में समझाने की कोशिश करें तो इस क्लासिफिकेशन पद्धति में पक्षों को आधार बनाया जाता है जैसे- यूनिवर्सल डेसीमल क्लासिफिकेशन
अपरिवर्तनीय पक्षात्मक पद्धति (Rigidly Faceted) – इस प्रकार की क्लासिफिकेशन स्कीम में विषयों को पूर्व निर्धारित फेसेट में बांट दिया जाता है तथा फेसेट क्रम का चुनाव पहले ही कर लिया जाता है।
लगभग मुक्त पक्षात्मक वर्गीकरण (Almost freely Faceted Classification) – इस प्रकार की क्लासिफिकेशन स्कीम में विषयों को पूर्व निर्धारित Facet में बांटा गया है तथा सभी Facet के लिए अलग-अलग योजक चिन्ह का प्रयोग किया गया है।
पूर्णत: मुक्त पक्षात्मक वर्गीकरण (Fully freely Faceted Classification) – इस प्रकार की क्लासिफिकेशन में विषयों को Facet में बांट लिया जाता है और फेसेट सीक्वेंस का निर्धारण बाद में किया जाता है। कोलन क्लासिफिकेशन का सातवां संस्करण इसमें आता है।
वैश्लेषी संश्लेषणात्मक पद्धति(Analytico Synthetic Scheme) – इस प्रकार की क्लासिफिकेशन में क्लास नंबर बनाने से पहले उस विषय को वैचारिक स्तर पर पक्षों में रूपांतरित किया जाता है तथा फिर से शाब्दिक स्तर पर रूपांतरित करके संबंधित आइसोलेट के लिए अंको(Notation) को योजक चिन्ह की सहायता से संश्लेषित किया जाता है। जैसे- कोलन क्लासिफिकेशन
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